।। पार्वती पंचक स्त्रोत्र ।।
धराधरेन्द्र नंदिनी शशांक मौलि संगिनी
सुरेशशक्ति वर्धिनी नितांतकान्त कामिनी ।
सुरेशशक्ति वर्धिनी नितांतकान्त कामिनी ।
निशाचरेन्द्र मर्दिनी त्रिशूल शूल धारिणी
मनोव्यथा विदारिणी शिवम् तनोतु पार्वती ॥1॥
मनोव्यथा विदारिणी शिवम् तनोतु पार्वती ॥1॥
भुजंगतल्प शायिनी महोग्रकान्त भामिनी
प्रकाश पुंज दामिनी विचित्रचित्र कारिणी ।
प्रकाश पुंज दामिनी विचित्रचित्र कारिणी ।
प्रचण्ड शत्रु धर्षिणी दया प्रवाह वर्षिणी
सदा सुभाग्यदायिनी शिवम् तनोतु पार्वती ॥2॥
सदा सुभाग्यदायिनी शिवम् तनोतु पार्वती ॥2॥
प्रकृष्ट सृष्ट कारिका प्रचण्ड नृत्य नर्तिका
पिनाक पाणि धारिका गिरीश शृंग मालिका ।
पिनाक पाणि धारिका गिरीश शृंग मालिका ।
समस्त भक्त पालिका पीयूष पूर्ण वर्षिका
कुभाग्य रेख मार्जिका शिवम् तनोतु पार्वती ॥3॥
कुभाग्य रेख मार्जिका शिवम् तनोतु पार्वती ॥3॥
तपश्चरी कुमारिका जगत्परा प्रहेलिका
विशुद्ध भावसाधिका सुधा सरित्प्रवाहिका
विशुद्ध भावसाधिका सुधा सरित्प्रवाहिका
प्रयत्न पक्ष पोषिका सदार्थि भाव तोषिका
शनि ग्रहादि तर्जिका शिवम् तनोतु पार्वती ॥4॥
शनि ग्रहादि तर्जिका शिवम् तनोतु पार्वती ॥4॥
शुभंकरी शिवंकरी विभाकरी निशाचरी
नभश्चरी धराचरी समस्त सृष्टि संचरी ।
नभश्चरी धराचरी समस्त सृष्टि संचरी ।
तमोहरी मनोहरी मृगांक मौलि सुन्दरी
सदा ग्रता संचरी शिवम् तनोतु पार्वती ॥5॥
सदा ग्रता संचरी शिवम् तनोतु पार्वती ॥5॥
पार्वती पंचकं नित्यम्धेते यत् कुमारिका ।
दुष्कृतम् निखिलं हत्वा वरं प्राप्नोति सुंदरम् ॥
दुष्कृतम् निखिलं हत्वा वरं प्राप्नोति सुंदरम् ॥
हे गौरि! शंकरार्धांगी! यथा त्वं शंकर प्रिया ।
तथा मां कुरु कल्याणी, कान्त कान्तां सुदुर्लभाम् ॥
तथा मां कुरु कल्याणी, कान्त कान्तां सुदुर्लभाम् ॥
॥ इति श्री पार्वती पंचक स्तोत्रम् सम्पूर्णम् ॥